Ai , चैटबॉट-चैटजीपीटी के जारी होने से सनसनी:
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के नए क्षेत्र में 12 हजार करोड़ रु का निवेश
पांच सप्ताह पहले सैनफ्रांसिस्को में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस लैब ओपनएआई ने सवालों के साफ और सधे हुए जवाब देने वाले चैटबॉट-चैटजीपीटी को जारी कर सनसनी फैला दी थी। लैब अब अपने शेयर बेच रही है। उसकी कीमत 2.38 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। 2019 में कंपनी में आठ हजार करोड़ रुपए लगाने वाली माइक्रोसॉफ्ट से बातचीत चल रही है।
ओपन एआई में लोगों की दिलचस्पी बताती है कि टेक्नोलॉजी कंपनियों में गिरावट के दौर में भी सिलिकॉन वैली नया रास्ता निकाल सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के नए क्षेत्र जनरेटिव एआई ने रोमांच पैदा किया है।
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//टेक्नोलॉजी के जरिये टेक्स्ट, इमेज, साउंड और अन्य मीडिया को छोटे से इशारे से तैयार कर सकते हैं। इस तरह के एआई से गूगल जैसे सर्च एंजिन, फोटोशॉप जैसे फोटो, ग्राफिक एडीटर्स और अलेक्सा, सिरी जैसे डिजिटल असिस्टेंट को नए सिरे से बदला जा सकेगा। वह किसी भी सॉफ्टवेयर से बात करने का नया रास्ता पेश करेगा। लोग कंप्यूटर और अन्य डिवाइस से ऐसे बात कर सकेंगे जैसे किसी व्यक्ति से बात कर रहे हैं। जनरेटिव एआई कंपनियों से करार होने लगे हैं। जनरेटिव एआई कंपनी जेस्पर ने अक्टूबर में एक हजार करोड़ रुपए जुटाए हैं। उसका मूल्य 12 हजार करोड़ रुपए हो गया है। इमेज जनरेट करने वाली कंपनी स्टेबिलिटी एआई को 830 करोड़ रुपए का निवेश मिला है। कैरेक्टर एआई, रेप्लिका और यूडॉट कॉम में भी निवेशकों की दिलचस्पी है। 2022 में निवेशकों ने जनरेटिव एआई कंपनियों में 78 करारों के तहत 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक लगाए हैं।
नुकसान भी ज्यादा
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//गूगल, मेटा और अन्य बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां जनता के बीच बड़े पैमाने पर जनरेटिव टेक्नोलॉजी रिलीज नहीं करना चाहती हैं क्योंकि ये सिस्टम अक्सर जहरीला कंटेंट, गलत सूचनाएं, हेट स्पीच तैयार करते हैं। ये महिलाओं और अश्वेतों की गलत इमेज पेश करते हैं। लेकिन ओपनएआई जैसी नई और छोटी कंपनियों को इसकी चिंता नहीं है। वे जनता के बीच आना चाहती हैं।
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